मोहब्बत चीज़ क्या है...
इबादत..इब्तिदा...इल्ज़ाम या रब,
मोहब्बत में जमाख़ोरी है या रब।
बहुत ही मुख्तलिफ़ अंदाज़ अपना,
ना अपना कोई, बेगाना है या रब।
अभी भी ढूंढते हैं उसको अक्सर,
मिला था ख़्वाब में हौले से या रब।
मिलावट इश्क में हरगिज नहीं की,
वो मुझसे रूठ कर बैठा है या रब।
मनाने, रुठने में क्या मुनासिब,
जो मेरा था, वो अब है ग़ैर या रब।
'मधुर' की आंख में ठहरा समंदर,
उसे अब चांद की हो दीद या रब।
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