निर्जला

आज गर हो सके तो आ जाना तुम्हारी याद में आंखे है निर्जला कब से आओ जब भी तो शाम को आना सांझ होगी तुम्हारे कांधों पर आंखों का निर्जला भी टूटेगा और कुछ बात भी सुनानी है दिल में जो अनकही कहानी है हो सके तो ज़रा सा वक्त साथ ले आना है इंतज़ार मेरी आंखों को उनको भी निर्जला व्रत तोड़ना है