तुम्हारे सिवा कुछ भी सोचा नहीं...

सफर के वास्ते ये ज़िंदगानी थी बहुत बोझिल ये तुम हो जिसने इसको प्यार से अक्सर संवारा है। कि बस तन्हाईंयों में ही कटे थे रात-दिन मेरे, तुम्हें देखा तो जाना तेरी आंखों ने पुकारा है। मैं अपने इश्क को लफ्ज़ों में शायद ढ़ाल ना पाउं ये सच है तू मेरे उन्वान का पहला सितारा है। मैं ना मजनू, ना रांझा,रोमियो,महिवाल की तरह मेरी कश्ती, मेरा सागर, तू ही मेरा किनारा है।