एक बार



एक बार प्रिय तुम मिल जाओ

सारी धरा कंवल हो जाए

एक बार प्रिय हाथ थाम लो

अविकल गगन विकल हो जाए


तुम से ही यह सांझ बावरी

तुम से ही यह रैन निर्झरी

तुम ही तुम हो सिर्फ धनुक में

तुम कोयल की कुहुक सांवरी


एक बार जो मुड़ कर देखो

सारा स्वप्न असल हो जाए


तुम हो बस पलकों की भाषा

आंखों के काजल की आशा

तेरा रुप या धूप है निखरी

तुम देवों की हो परिभाषा


तुम जो मेरी हो जाओ तो

जीवन एक पहल हो जाए



सांसों की आवृत्ति तुम्हीं हो

मौन जहां हो मुखर वहीं हो

तुम कलिका के पोर पोर में

भोर सुनहरी सिर्फ तुम्हीं हो


तुम जो आंचल लहरा दो तो

सौम्य समुद्र अबल हो जाए

******

Comments

Popular posts from this blog

मोहब्बत सिर्फ नशा नहीं...तिलिस्म है...

अंखियन देखी बात कहूं मैं