प्रतीक्षा

तुम मुझे मुड़ कर कहो तो एक दिन,
पास आकर के बता दो एक दिन,
मैं तुम्हारी आस में ठहरा हुआ हूं,
झील में पत्थर तो फेंको एक दिन।
मैं ना जानूं मैं ना समझूं क्या करु मैं,
नैन से नैनों की भाषा क्या पढ़ूं मैं,
मैं तुम्हारे हृदय की क्या थाह लूंगा,
मैं तो दीवाना हूं तुमको चाह लूंगा,
प्रेम को आकाश दे दो एक दिन।
एक गाथा प्रेम की मैं लिख रहा हूं,
किन्तु अभिव्यक्ति में सकुचा दिख रहा हूं,
पर मेरी हर कल्पना में सिर्फ तुम हो,
ओस हूं बस धूप में मैं बिक रहा हूं।
तुम मुझे इक बार होठों से लगा कर,
नेह को अभिमान दे दो एक दिन।
पुष्प सा सुंदर नहीं हूं जान लो तुम,
मैं सुगंधित भी नहीं हूं मान लो तुम,
प्रेम में मुझ सा सहज कोई नहीं है,
जानना हो इस जगत को छान लो तुम।
प्रेम का परिमाण तुमको क्या बताऊं,
हृदय के पथ पर चलो तो एक दिन।
बहुत सुंदर कविता,मज़ा आ गया
ReplyDeleteप्रेम को दर्शाती सुन्दर रचना
ReplyDeleteआप सभी का शुक्रिया..दिल की आवाज़ को शब्दों के लिबास पहनाता हूं..कभी कभी कुछ लिबास अच्छे हो ही जाते हैं
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