पिछली होली में तुमने दी थी दुआएं मुझको, अब की होली में भी दी होंगी, मुझे मालूम है, कितनी ही दूर हो पर पास हो मेरे फिर भी, मां ये एहसास ही, यकीं है, मुझे मालूम है ।
जब मैं तन्हाईयों में होता हूं साथ के खुद भी मैं नहीं होता फिर भी दो साये मेरे साथ बने रहते हैं जानता हूं मैं उनके चेहरों को वो भी ये जानते हैं छिप नहीं सकते मुझसे मैं समझता हूं उनकी बेचैनी वो परेशां है मेरी हालात पर उनकी हसरत है मेरे होठों पर मुस्कराहट हमेशा रौशन हो मैं सलामत हूं जो हालात की इस आंधी में उन फरिश्तों की दुआ है शायद ये वो साये हैं जिनसे ज़िंदगी मिली है मुझे मेरे वालिद औ मेरी मां के सर्द साये ने अक्सर मुश्किल से बचाया है मुझे लगता है आज भी वो ज़िंदा हैं ज़िंदा हैं.. जब तलक मैं हूं ज़िंदा..