दर्द समझो तो सही
आंख से अश्कों की बातें पूछिएगा एक दिन,
रास्ते के दर्द को पहचानिएगा एक दिन।
मैं नज़र आ जाऊंगा चुपके से ख़्वाबों की तरह,
शाम को सूरज की किरणें देखिएगा एक दिन।
खो रहा हूं आज सब कुछ सोचकर कुछ इस तरह,
कह रहा हूं खुद से सब कुछ पाइयेगा एक दिन।
पाएंगे मंज़िल सभी लेकिन ज़रा कुछ देर से,
रफ्ता-रफ्ता लुत्फ-ए-हसरत देखिएगा एक दिन।
'मधुर' पन्नों पर ना तू अपनी निशानी छोड़ दे,
कह के सबसे अब खुमारी देखिएगा एक दिन।
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