सिर्फ तुम



मैं तुम्हें चाहता बहुत हूं मगर,

और मैं कह ना सका कुछ तुमसे

तुम ही समझो तो बात अच्छी है

मेरे चेहरे पर नूर है तुमसे


मेरे अंतर की सारी सारी व्यथा

पलकों पर आ नहीं सकी फिर भी

तुमको देखा तो देखता ही रहा

दर्द के साथ ही दवा तुमसे


मैं तुम्हें चाहता बहुत हूं मगर,

और मैं कह ना सका कुछ तुमसे ।


लोग कहते हैं कदम ठिठके हैं

लोग नांदां हैं लोग क्या समझें

मैंने जिस दिन नहीं देखा तुमको

सांस दुश्वार ख्वाब थी हमसे


मैं तुम्हें चाहता बहुत हूं मगर,

और मैं कह ना सका कुछ तुमसे ।


मैंने देखी तेरी मासूम हंसी

होंठ पर कोई लहर उठती सी

मेरे सीने में कोई ख्वाब जगा

एक अलसाई किरण है तुमसे


मैं तुम्हें चाहता बहुत हूं मगर,

और मैं कह ना सका कुछ तुमसे ।


आज की बात चलो हो जाए

चांद बादल में कहीं खो जाए

मैं तुम्हें जी लूं पूर्णिमा की तरह

सारी ही चांदनी रहे तुमसे


मैं तुम्हें चाहता बहुत हूं मगर,

और मैं कह ना सका कुछ तुमसे ।


तुमको चाहा तो टूटकर चाहा

मैं निहां हो गया हूं ख्वाबों में

मेरी आंखो में टिमटिमाती खुशी

हर खुशी का सुरूर है तुमसे


मैं तुम्हें चाहता बहुत हूं मगर,

और मैं कह ना सका कुछ तुमसे ।


मैं कहूं या ना कहूं है मुश्किल

तुमको मैं खो के जी नहीं सकता

सोचता हूं कि बुरा मानोगी

एक ख़ामोशी मुसलसल तुमसे


मैं तुम्हें चाहता बहुत हूं मगर,

और मैं कह ना सका कुछ तुमसे ।

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