प्रिय के नाम
देखो प्रिय तुम्हारे आंसू ,
मेरी आंखों से झरते हैं ।
ये कैसा पावन परिचय है,
हृदय-हृदय से जब मिलते हैं
ये उन्माद नहीं है कोई,
प्रेम सुधा का प्रखर चरम है,
यह मेरी अनुरक्ति भी नहीं,
नयनों का ये नहीं भरम है।
तुम मेरे आंगन तो आओ,
स्नेह दीप अब भी जलते हैं।
देखो प्रिय तुम्हारे आंसू...
तुमको पाकर जग पाया तो,
आकुलता अब शेष नहीं है,
नयन बंद कर तुमको देखा,
स्वप्नों का कोई देश नहीं है।
तुम मेरे दृग में आए हो
हृदय पुष्प मेरे खिलते हैं।
देखो प्रिय तुम्हारे आंसू...
ऐसा नहीं कि तुमसा कोई,
सकल विश्व में कोई नहीं है,
किन्तु मेरे एकांत का यौवन,
आंसू का सुर और नहीं है।
तुम पीड़ा में प्रेम उगाओ,
मेरे कंठ गीत फबते हैं ।
देखो प्रिय तुम्हारे आंसू..
मेरी आंखों से झरते हैं
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