ज़िंदगी
सुबह सुबह अलसाई
किरणें
जब मेरे घर में आती
हैं,
सुबह सुबह कुछ सपने
लेकर
आंखों से नींदे जाती
हैं
तभी एक आहट सी दिल
में
बेचैनी सी भर देती
है.
मोबाइल पर तुमसे
बातें
आशाओं को पर देती है
मरूथल के तपते दामन
पर
बारिश की बूंदे आती
हैं।
सुबह सुबह आवाज़ तुम्हारी
बेसुध को सुध कर
जाती है
अलसाई आवाज़ जादुई,
जाने क्या क्या कर
जाती है
नई उमंगे अवचेतन पर
चेतन का रस बरसाती
हैं।
एक अधूरापन सांसों
का
रहा अपरिमित भी
कितना हो
और नयन की बोझिलता
में
जीवन प्रश्न बड़ा
कितना हो,
किन्तु सवेरे तुमसे
बातें
जीवन में रस भर जाती
हैं।
प्रेम, सहजता की
परिभाषा
आवाज़ों से छन कर
आता
आधी ख़्वाहिश का
पूरापन
अपनेपन की प्यास
बुझाता,
मन में इठलाती सी
लहरें
सागर के तट को पाती
हैं।
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