एक बेबस कवि का दर्द
राहुल भैया सुनो हमारी,
राजनीति तलवार दुधारी,
काट लिए 10 साल मौज तुम,
अब देखो जनता की बारी।
किया केजरी को फिट तुमने,
राजनीति में आया पिटने,
जनता लेगी हर हिसाब अब,
पाप किए हैं तुमने जितने।
जनता को बौड़म समझा था,
अब देखो उसकी होशियारी।
महंगाई आकाश पे धर दी,
और वादों से झोली भर दी,
ऐसे कब तक चलेगा भैया,
गैस सिलेंडर बारह कर दी।
नाकों चने चबाए हैं सब,
याद तुम्हारी कारगुज़ारी।
मेहनतकश का दर्द ना जानो,
खुद को सबसे अव्वल मानो,
ऐसे मुल्क कहां चलता है,
सच्चाई मानो ना मानो।
जनता के आंसू हैं ताक़त,
ना समझो उसको लाचारी।
खाने का अधिकार दिया है,
मनरेगा में काम दिया है,
क्या तुमसे पहले भारत में,
इस माटी ने प्राण लिया है।
तुमसे पहले भी भारत में,
भरे पेट जनता डक्कारी।
नब्ज़ नहीं भारत की समझे,
स्वप्न लोक में अपने उलझे,
ये सतरंगी देश हमारा,
हर दिक्कत जनता से सुलझे।
जाओ अपना काम करो अब,
तुम्हें मुबारक हो बेकारी।
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