प्रेयसी
तुम प्रेयसी थी...
प्रेयसी हो
और प्रेयसी ही रहोगी
मेरे जीवन में
क्योंकि नहीं छोड़ी तुमने अपनी आदतें
वो चिंहुक कर बतियाना
खुद को सवांरना
बात बात पर
खिलखिलाना
तुम ही तो हो
जिससे चाहत है इतनी
लेकिन एक सवाल है तुमसे
तुमने चुना था मुझे
या मैंने चुना था तुम्हें
ये सच अब तक सतह पर नहीं आ सका...
ना मैं जान सका
क्या तुम बताओगी मुझे....?
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